कभी गुस्सा भी आता है,
कभी हैरत भी होती है,
ये सांचोँ मेँ जो तुमने मेरा अक्स डाला है,
मेरा ही रुप है या उसका भी कोई नया संस्करण...
मैँने तो सांचोँ को तोड़ने को बुने थे ये ताने-बाने,
किताबोँ से कहीँ बेहतर,बनियान के उपर ज़िन्दा रखा तुमने मुझे....
कभी हैरत भी होती है,
ये सांचोँ मेँ जो तुमने मेरा अक्स डाला है,
मेरा ही रुप है या उसका भी कोई नया संस्करण...
मैँने तो सांचोँ को तोड़ने को बुने थे ये ताने-बाने,
किताबोँ से कहीँ बेहतर,बनियान के उपर ज़िन्दा रखा तुमने मुझे....
तुम्हारा शुक्रिया!!
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